गणेश जी हिन्दू धर्म के अत्यंत प्रिय और लोकप्रिय देवता हैं, जिन्हें विघ्नहर्ता अर्थात् सभी बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और अपने हाथी के सिर के कारण पहचाने जाते हैं। गणेश जी का स्वरूप बहुत ही विशिष्ट और सुन्दर होता है—उनका बड़ा हाथी का सिर, छोटा तनु, बड़ा पेट, और चार हाथ होते हैं जिनमें वे अलग-अलग वस्तुएं धारण करते हैं, जैसे मोदक (मीठा), रज्जु, अंकुश और वरमुद्रा।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

गणेश जी को नई शुरुआत के देवता के रूप में माना जाता है, इसलिए किसी भी कार्य या शुभ अवसर की शुरुआत उनकी पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है। वे बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता भी हैं, जिनकी कृपा से जीवन में सफलता और समृद्धि आती है। गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जिसमें उनकी भव्य मूर्तियों की स्थापना कर, पूजा अर्चना और भजन-कीर्तन होते हैं।

गणेश जी के वाहन मूषक (चूहा) होते हैं, जो उनकी विनम्रता और सभी बाधाओं को पार करने की क्षमता का प्रतीक है। वे अपने भक्तों के जीवन से विघ्न और संकट दूर करते हैं और सुख-शांति तथा समृद्धि प्रदान करते हैं। इसलिए गणेश जी को “शुभारंभ के देवता” के रूप में सबसे पहले पूजा जाता है और वे हर Hindu परिवार के दिल के बेहद करीब हैं।

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