करवाचौथ पर चौथ माता की आरती करना सुहाग और सौभाग्य के लिए उत्तम फलदायी माना गया है।
इस दिन शिव पार्वती और गणेशजी की आरती के साथ करवा चौथ माता की भी आरती जरूरी करनी चाहिए यह आपके व्रत को और भी शुभ एवं सफल बनाता है।

करवा चौथ का त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, जिसमें महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत में करवा माता की पूजा का विशेष महत्व होता है। करवा माता को देवी पार्वती का एक रूप माना जाता है, जो परिवार की रक्षा करने वाली और पति की भलाई हेतु काम करने वाली देवी हैं।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती.. ओम जय करवा मैया।

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे.. ओम जय करवा मैया।

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे.. ओम जय करवा मैया।

करवा माता की पूजा में एक मिट्टी या मिट्टी से बनी मिट्टी की करवा (एक प्रकार का बर्तन) और दीपक का विशेष उपयोग होता है। महिलाएं इस दिन सुबह से ही व्रत रखकर शाम को चंद्रमा को देखकर अपनी पूजा सम्पन्न करती हैं। करवा माता की आराधना से पति की लंबी उम्र, परिवार में खुशहाली और सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि करवा माता की कृपा से पति और परिवार की सभी बाधाएं दूर होती हैं।

करवा माता