Trending News
श्री शिव चालीसा
Allkhabars May 25, 2025
श्री हनुमान चालीसा
Allkhabars May 25, 2025
गणपति स्तुति आरती ~ गणपति राखो मेरी लाज
Allkhabars May 25, 2025
साईं बाबा की आरती
Allkhabars May 19, 2025
राधारानी जी की आरती
Allkhabars May 19, 2025
करवा चौथ पर करवा माता की आरती
Allkhabars May 19, 2025
मां सरस्वती की वंदना
Allkhabars May 19, 2025
भगवान राम की आरती
Allkhabars May 19, 2025
संतोषी माता की आरती
Allkhabars May 18, 2025
कुबेर जी की आरती
Allkhabars May 18, 2025
कुंजबिहारी जी की आरती
Allkhabars May 18, 2025
गोर्वधन महाराज जी की आरती
Allkhabars May 18, 2025
तुलसी माता की आरती
Allkhabars May 18, 2025
एकादशी माता की आरती
Allkhabars May 18, 2025
कुबेर जी की आरती
भगवान कुबेर हिन्दू धर्म में धन, वैभव और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। उन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष और उत्तर दिशा का अधिपति कहा गया है। कुबेर जी का स्वरूप अत्यंत भव्य और प्रभावशाली होता है—वे सोने के आभूषणों से सजे होते हैं, उनके हाथों में रत्नों से भरा पात्र या मणि कुंभ होता है, और वे पुष्पक विमान पर सवार होते हैं। ऐसा माना जाता है कि वे हिमालय के समीप अलकापुरी नामक नगर में निवास करते हैं, जो स्वर्ग के समान दिव्य और धन-सम्पदा से परिपूर्ण है। कुबेर जी की आराधना विशेष रूप से व्यापारियों, धन की कामना करने वालों तथा गृहस्थ जीवन जीने वालों के बीच लोकप्रिय है, क्योंकि उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य, वैभव और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे।
ओम जै यक्ष कुबेर हरे..॥
शिव भक्तों में भक्त सबसे कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥
ओम जै यक्ष कुबेर हरे..॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं॥
ओम जै यक्ष कुबेर हरे..॥
गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करें॥
ओम जै यक्ष कुबेर हरे..॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने, स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने॥ ॥
ओम जै यक्ष कुबेर हरे..॥
बल बुद्धि विद्या दाता, हम तेरी शरण पड़े स्वामी हम तेरी शरण पड़े।
अपने भक्त जनों के, सारे काम संवारे॥
ओम जै यक्ष कुबेर हरे..॥
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुबेर पहले एक साधारण मानव थे, लेकिन उन्होंने घोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और धन के देवता बनने का वर प्राप्त किया। कुबेर का संबंध लक्ष्मी माता से भी जुड़ा है, जो स्वयं समृद्धि की देवी हैं। दीपावली के पर्व पर विशेष रूप से लक्ष्मी जी के साथ कुबेर जी की भी पूजा की जाती है, जिससे केवल धन ही नहीं, बल्कि उसका संरक्षण और उचित उपयोग भी सुनिश्चित होता है। कुबेर जी की उपासना यह भी सिखाती है कि सच्ची समृद्धि केवल धन में नहीं, बल्कि उसकी मर्यादा और सदुपयोग में है। इस प्रकार भगवान कुबेर न केवल भौतिक संपत्ति के देवता हैं, बल्कि वे संतुलित, संयमित और धर्मयुक्त जीवन की प्रेरणा भी देते हैं।
