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भगवान राम की आरती
भगवान राम हिन्दू धर्म के एक महान आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजे जाते हैं। वे त्रेतायुग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्मे थे। राम न केवल एक शक्तिशाली राजा थे, बल्कि वे धर्म, सत्य, कर्तव्य और मर्यादा के प्रतीक माने जाते हैं। उनके जीवन का संपूर्ण वर्णन रामायण नामक महाकाव्य में मिलता है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने रचा था। भगवान राम का जीवन एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भ्राता और आदर्श राजा के रूप में सभी के लिए प्रेरणास्रोत रहा है।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु ।
कृपा कर अपनायो ॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
जन्म जन्म की पूंजी पाई ।
जग में सबी खुमायो ॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
खर्च ना खूटे, चोर ना लूटे।
दिन दिन बढ़त सवायो॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
सत की नाव खेवटिया सतगुरु।
भवसागर तरवयो॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
मीरा के प्रभु गिरिधर नगर।
हर्ष हर्ष जस गायो॥
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्षों का वनवास स्वीकार किया और राज्य का त्याग कर दिया। वनवास के दौरान उन्होंने अनेक कठिनाइयाँ झेलीं, राक्षसों का संहार किया और अंत में रावण जैसे महाशक्तिशाली दैत्य का वध कर धर्म की स्थापना की। उनके चरित्र में करुणा, सहिष्णुता, धैर्य, और न्याय की भावना स्पष्ट रूप से झलकती है। माता सीता के प्रति उनकी निष्ठा और प्रेम, भाई लक्ष्मण के साथ उनका स्नेह, तथा हनुमान और अन्य भक्तों के साथ उनका स्नेहपूर्ण संबंध यह दिखाता है कि भगवान राम केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और प्रजापालक राजा भी थे।
आज भी भगवान राम का नाम श्रद्धा, विश्वास और आदर्शों का प्रतीक है। उनका नाम जपने मात्र से व्यक्ति के मन में शांति और संतोष का अनुभव होता है। राम का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धर्म और सत्य के मार्ग पर कैसे चला जा सकता है। इसीलिए भगवान राम न केवल एक देवीय अवतार हैं, बल्कि वे भारतीय संस्कृति और जीवनमूल्यों के शाश्वत आदर्श भी हैं।
