साईं बाबा एक महान आध्यात्मिक गुरु और संत थे, जिनका जन्म 19वीं सदी में महाराष्ट्र के शिरडी गाँव में हुआ था। वे हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के प्रति समान श्रद्धा रखते थे और अपने संदेशों के माध्यम से सभी धर्मों के बीच प्रेम, सद्भाव और एकता का प्रचार करते थे। साईं बाबा ने अपने जीवन में सरलता, करुणा और आत्म-त्याग का उदाहरण पेश किया, और उन्होंने अपने भक्तों को सच्ची भक्ति, धैर्य और प्रेम का मार्ग दिखाया।

साईं बाबा की शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के लिए मार्गदर्शक हैं। वे कहते थे कि “सबका मालिक एक” यानी सभी का ईश्वर एक ही है, और व्यक्ति को सभी जीवों के प्रति दया और प्रेम रखना चाहिए। उनकी शक्ति और चमत्कारों के कारण वे बहुत जल्दी प्रसिद्ध हुए, और उनके अनुयायी भारत सहित दुनियाभर में फैले। शिरडी में उनका मंदिर आज भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहाँ रोजाना हजारों श्रद्धालु उनके दर्शन और आशीर्वाद लेने आते हैं।

ओम जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
भक्तजनों के कारण, उनके कष्ट निवारण॥
शिरडी में अवतरे, ओम जय साईं हरे॥ ओम जय साईं हरे॥

दुखियन के सब कष्टन काजे, शिरडी में प्रभु आप विराजे।
फूलों की गल माला राजे, कफनी, शैला सुन्दर साजे॥
कारज सब के करें, ओम जय साईं हरे ॥ ओम जय…॥

काकड़ आरत भक्तन गावें, गुरु शयन को चावड़ी जावें।
सब रोगों को उदी भगावे, गुरु फकीरा हमको भावे॥
भक्तन भक्ति करें, ओम जय साईं हरे ॥ ओम जय…॥

हिन्दु मुस्लिम सिक्ख इसाईं, बौद्ध जैन सब भाई भाई।
रक्षा करते बाबा साईं, शरण गहे जब द्वारिकामाई॥
अविरल धूनि जरे, ओम जय साईं हरे ॥ ओम जय…॥

भक्तों में प्रिय शामा भावे, हेमडजी से चरित लिखावे।
गुरुवार की संध्या आवे, शिव, साईं के दोहे गावे॥
अंखियन प्रेम झरे, ओम जय साईं हरे ॥ ओम जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।।

ओम जय साईं हरे, बाबा शिरडी साईं हरे।
शिरडी साईं हरे, बाबा ओम जय साईं हरे॥
श्री सद्गुरु साईंनाथ महाराज की जय॥

साईं बाबा ने अपने भक्तों को अहंकार छोड़कर विनम्रता, समर्पण और ईमानदारी से जीवन बिताने की सीख दी। उनकी भक्ति और श्रद्धा से लोगों को मानसिक शांति, दुखों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस प्रकार, साईं बाबा केवल एक संत ही नहीं, बल्कि मानवता के लिए प्रेम और सेवा के सच्चे उदाहरण हैं।

साईं बाबा