सरस्वती माता की पूजा करते समय समय उनकी वंदना करना जरू करें क्योंकि सृष्टि में देवी देवता भी मां सरस्वती की वंदना करते हैं और देवी की कृपा से ही उन्हें भी ज्ञान और मान सम्मान मिलता है।
तो आपक कीजिए सरस्वती वंदना – या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

बसंत पंचमी के मौके पर सबसे पहले माता सरस्वती का ध्यान करें-फिर पूजा के साथ यह वंदना करें…
कहते हैं कि देवी देवता भी मां सरस्वती से ज्ञान और विज्ञान की प्राप्ति के लिए उनकी वंदना करते हैं।

तो आइए परिवार सहित मिलकर करते हैं सरस्वती वंदना….

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

मां सरस्वती हिन्दू धर्म की ज्ञान, संगीत, कला और शिक्षा की देवी हैं। उन्हें विद्या की देवी के रूप में पूजा जाता है और वे सभी प्रकार की बुद्धिमत्ता और सृजनात्मकता की स्रोत मानी जाती हैं। मां सरस्वती का स्वरूप बहुत ही शांत और दिव्य होता है, जिसमें वे सफेद वस्त्र पहने, कमल के फूल पर बैठी, और अपने चार हाथों में वीणा (संगीत वाद्य), पुस्तक, जपमाला और वरमुद्रा धारण करती हैं। सफेद रंग उनकी शुद्धता, ज्ञान और सत्य का प्रतीक है।

सरस्वती पूजा खासकर शिक्षा से जुड़ी जगहों और विद्यालयों में बड़े उत्साह से मनाई जाती है, विशेषकर वसंत पंचमी के दिन। इस दिन विद्यार्थी, कलाकार और विद्वान उनकी विशेष पूजा करते हैं ताकि उन्हें ज्ञान और सफलता प्राप्त हो। माना जाता है कि मां सरस्वती की कृपा से मनुष्य के मन में ज्ञान का प्रकाश फैलता है, जिससे अज्ञानता और अंधकार दूर होते हैं।

सरस्वती माता की उपासना से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है, उसकी कलात्मक क्षमताएँ विकसित होती हैं, और वह जीवन में आध्यात्मिक एवं सांसारिक सफलता प्राप्त करता है। इसलिए मां सरस्वती को हिन्दू धर्म में अत्यंत पूजनीय देवी माना जाता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में हमें मार्गदर्शन और प्रेरणा देती हैं।

मां सरस्‍वती